
जन्म जयंती पर विशेष लेख-

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के ऐसे युगपुरुष थे, जिनका व्यक्तित्व अनेक आयामों से सुसज्जित था। वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि कवि, विचारक, ओजस्वी वक्ता, कुशल प्रशासक और मानवीय मूल्यों के सजग प्रहरी थे। उनके जीवन और कृतित्व में राजनीति की कठोरता के साथ कविता की कोमलता का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है। यही कारण है कि वे सत्ता में रहते हुए भी सर्वमान्य बने रहे और सत्ता से बाहर रहते हुए भी उतने ही सम्मानित रहे।
प्रारंभिक जीवन और वैचारिक निर्माण
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन सादगी, संघर्ष और अनुशासन से निर्मित हुआ। छात्र जीवन से ही उनमें राष्ट्रसेवा की भावना प्रबल थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर उन्होंने अनुशासन, संगठन और राष्ट्रभक्ति के संस्कार पाए। यही संस्कार आगे चलकर उनके सार्वजनिक जीवन की रीढ़ बने। वे विचारों में दृढ़ थे, किंतु दृष्टि में उदार, और यही संतुलन उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग करता है।
राजनीतिक जीवनः सिद्धांतों की राजनीति
अटल जी का राजनीतिक जीवन अवसरवाद नहीं, बल्कि सिद्धांतनिष्ठा का उदाहरण रहा। वे लंबे समय तक विपक्ष में रहे, किंतु कभी भी मर्यादा नहीं छोड़ी। संसद में उनकी भूमिका केवल विरोध करने की नहीं, बल्कि रचनात्मक सुझाव देने की रही। वे मानते थे कि लोकतंत्र की मजबूती सत्ता और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। तीन बार प्रधानमंत्री बनना उनके व्यक्तित्व पर जनता के अटूट विश्वास का प्रमाण है, विशेषकर गठबंधन राजनीति के कठिन दौर में।
प्रधानमंत्री के रूप में दूरदर्शी नेतृत्व
प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने साहसिक और ऐतिहासिक निर्णय लिए। पोखरण परमाणु परीक्षण ने भारत को सामरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर और वैश्विक स्तर पर आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। इसके साथ ही उन्होंने यह स्पष्ट संदेश भी दिया कि भारत शांति का पक्षधर है, परंतु अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। उनके कार्यकाल में सड़क, संचार और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना ने देश के आर्थिक और औद्योगिक विकास को नई गति दी। उनका शासन ‘कम बोलो, ज़्यादा काम करो’ की भावना से प्रेरित था।
विदेश नीतिः संवाद और संतुलन
अटल जी की विदेश नीति का मूल मंत्र था-संवाद, संतुलन और सम्मान। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की ईमानदार कोशिश की। बस कूटनीति के माध्यम से शांति का संदेश देना उनके दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक था। वैश्विक मंचों पर भारत की स्वतंत्र और आत्मसम्मान से भरी आवाज़ उनके नेतृत्व में और अधिक सशक्त हुई। वे मानते थे कि राष्ट्रों के संबंध केवल कूटनीति से नहीं, बल्कि मानवीय संपर्क से भी मजबूत होते हैं।
ओजस्वी वक्ता और संसदीय गरिमा
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय संसद के सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में गिने जाते हैं। उनकी वाणी में ओज, तर्क और शालीनता का अनूठा संतुलन था। वे तीखे से तीखे विषय को भी सौम्यता और विनोद के साथ प्रस्तुत करते थे। उनके भाषणों में तथ्यात्मक मजबूती के साथ भावनात्मक अपील होती थी। यही कारण था कि उनके विरोधी भी उनके भाषण सुनने को उत्सुक रहते थे। उन्होंने यह सिद्ध किया कि असहमति भी सम्मानजनक हो सकती है।
कवि-हृदय और साहित्यिक व्यक्तित्व
अटल जी का कवि-हृदय उनके व्यक्तित्व का सबसे संवेदनशील पक्ष था। उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम, जीवन-संघर्ष, मानवीय करुणा और आशा का स्वर मुखर है। “हार नहीं मानूँगा” जैसी पंक्तियाँ उनके जीवन-दर्शन का घोष बन गईं। राजनीति की कठोरता के बीच कविता उनके लिए आत्मसंवाद का माध्यम थी। उनकी कविताएँ बताती हैं कि सत्ता के शिखर पर बैठा व्यक्ति भी भीतर से कितना संवेदनशील हो सकता है।

मानवीय मूल्य और व्यक्तिगत सादगी
अटल बिहारी वाजपेयी का निजी जीवन सादगी, संयम और विनम्रता का उदाहरण था। सत्ता और वैभव के बीच रहते हुए भी उन्होंने कभी अहंकार को स्थान नहीं दिया। उनके व्यवहार में करुणा, सहिष्णुता और उदारता स्पष्ट दिखाई देती थी। वे मतभेदों के बीच भी मनभेद नहीं होने देते थे। यही गुण उन्हें केवल नेता नहीं, बल्कि सच्चा लोकनायक बनाता है।
लोकतंत्र के सजग प्रहरी
अटल जी लोकतंत्र को केवल शासन-प्रणाली नहीं, बल्कि जीवन-मूल्य मानते थे। वे प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की गरिमा और संसदीय परंपराओं के संरक्षण के प्रति सदैव सचेत रहे। उनका विश्वास था कि मजबूत लोकतंत्र वही है जिसमें असहमति का सम्मान हो, संवाद की गुंजाइश बनी रहे और सत्ता जवाबदेह हो। उन्होंने अपने आचरण से लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त किया।
विरासत और प्रेरणा
अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत केवल नीतियों या योजनाओं तक सीमित नहीं है। उनकी सबसे बड़ी देन है-राजनीति में नैतिकता, संवाद में शालीनता और सत्ता में संवेदना। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए यह संदेश छोड़ गए कि राजनीति को भी मानवीय बनाया जा सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी का बहुमुखी व्यक्तित्व भारतीय लोकतंत्र की अमूल्य धरोहर है। वे राजनीति में कविता की कोमलता और कविता में राजनीति की जिम्मेदारी लेकर आए। उनका जीवन इस सत्य को प्रमाणित करता है कि दृढ़ सिद्धांतों के साथ उदार हृदय और मानवीय संवेदना संभव है। अटल जी न केवल अपने समय के महान नेता थे, बल्कि वे सदैव भारत की आत्मा में जीवित रहने वाली प्रेरणा हैं।
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