जगन्नाथ हिन्दी महाविद्यालय एवं जम्मू कश्मीर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति का सयुक्त प्रयास

प्राचीन भारतीय लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य पर सेमिनार का आयोजन

गाज़ियाबाद। गोविंदपुरम स्थित घरौंदा बाल आश्रम में जगन्नाथ हिन्दी महाविद्यालय कण्णूर (केरल) एवं जम्मू कश्मीर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के संयुक्त तत्वावधान में “प्राचीन भारतीय लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य के मूल तत्व” विषय पर एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार एवं सम्मान समारोह
का आयोजन किया गया। पूर्व में यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश के चम्बा में होना प्रस्तावित था लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण गाज़ियाबाद में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ रत्ना पाणिक्कर रही।


कार्यक्रम में डॉ रत्ना पाणिक्कर ने कहा कि लोकसाहित्य को भाषा अथवा क्षेत्र में नहीं बांधा जा सकता है लोकसाहित्य/लोकगीत समुद्र की लहरों की तरह है जिसको रोका नहीं जा सकता। संगीत की कोई ज़बान नहीं होती। उन्होंने इसके लिए उदाहरण भी दिए, उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान संगीत का आगमन खुसरो के साथ हुआ। अमीर खुसरो ने भारतीय संगीत में तबला और सितार जैसे वाद्य यंत्रों के आविष्कार, कव्वाली, ख्याल और तराना जैसी गायन शैलियों को विकसित करने, और फारसी तथा भारतीय रागों को मिलाकर कई नए राग बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में अरबी और फ़ारसी प्रभाव भी शामिल किए, जिससे संगीत और समृद्ध हुआ। इस अवसर पर उन्होंने अपनी भारत भाषा मलयालम में गीत सुनाकर अथितियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।


मुख्य वक्ता इग्नू में हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ धर्मवीर सिंह ने कार्यक्रम में कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिंदी- उर्दू है, इन भाषाओं के बिना शायरी भी अधूरी रहती है। उन्होंने कहा कि शायरी में हमारी सभ्यता को पेश किया जाता। इस मौके पर हिन्दी महाविद्यालय,कण्णूर (केरल) एवं जम्मू कश्मीर राष्ट्रभाषा प्रचार समिति (रजि०) द्वारा श्री सुभाष अखिल, एडवोकेट ओमकार सिंह,डॉ सौम्या वर्मा,प्रमोद कुमार, डी डी पचोरी,डॉ सुनील चौधरी, विनीत तोमर, डॉ मोनिका देवी, डॉ भारत भूषण शर्मा,श्रीमती सुमित्रा चौधरी, डॉ.ऐश्वर्या झा को स्मृति चिन्ह व शाल उढ़ाकर सम्मानित किया गया साथ ही सेवाभाव व बच्चों के लिय समर्पित बाल घरौंदा आश्रम के स्टाफ़ को भो शाल उढ़ाकर उनकी हौसलाअफजाई की गई।

इस अवसर पर झांसी से आई प्रोफेसर डॉ सौम्या वर्मा की पुस्तक “कश्मीर केंद्रित हिंदी कथा साहित्य”का विमोचन किया गया। वक्ताओं ने डॉ सौम्या वर्मा की पुस्तक की भूरी भूरी प्रसंशा करते हुए उन्हें बधाई दी। इस अवसर पर कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने व उसे मूर्तरूप देने वाले वरिष्ठ साहित्यकार श्री शुभाष अखिल, डॉ भारत भूषण शर्मा,श्रीमती सुमित्रा चौधरी, डॉ.ऐश्वर्या झा, डॉ. सुनील चौधरी, शकील अहमद सैफ, विनीत तोमर आदि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम के अंत में घरोंदा बाल आश्रम के संरक्षक डी डी पचोरी ने सभी आगन्तुको का आभार प्रकट किया। प्रोग्राम का संचालन कार्यक्रम की संयोजिका डॉ मोनिका देवी व एडवोकेट ओमकार सिंह ने किया।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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