गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने कहा है की अगर किसी बहन के कोई भाई नहीं है, तो अपने इष्टदेवों को राखी बांध सकती हैं। ऐसे में आप भगवान श्री कृष्ण को राखी बांध सकती हैं। इसके अलावा भगवान शिव, बजरंग बली, गणेश जी आदि देवों को राखी बांध सकती हैं। इन्हें राखी बांधने से कुंडली से ग्रह दोष के दुष्प्रभाव भी कम हो सकते हैं। और चाहे तो मैं आपको बहन के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। आप मेरे हाथ में अपना रक्षा सूत्र बांध सकती हैं।
बीके शर्मा हनुमान ने यह भी बताया कि रक्षाबंधन का त्यौहार इस सोच के साथ शुरू हुआ था कि बहन भाई को रक्षा सूत्र बांधेगी और भाई बहन की रक्षा करेगा। लेकिन वक्त के साथ इस त्यौहार की चमक तो बढ़ी है लेकिन इसके भाव में कमी हो गयी। त्यौहार का स्वरूप ही बदल गया है। यह त्यौहार केवल आनंद और तोहफों से जुड़कर रह गया और रक्षा वाला भाव ही खो गया है। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि वक्त के साथ में स्त्रियों के प्रति हिंसा, सम्मान और सुरक्षा की कमी साफ़ देखी जा सकती है। अगर हर भाई स्त्री को उसी सम्मान और भाव से राखी बंधवा रहा होता, तो आज समाज में स्त्रियाँ इतनी असुरक्षित नहीं होती क्योंकि पुरुषों में समान भाव से सभी स्त्रियों के लिए एक कोमल और सुरक्षा की भावना विकसित होती। लेकिन ये लेख इस बात पर है कि अगर किसी घर में भाई नहीं है, तो उस घर की बहनें किन्हें राखी बांधकर खुद को सुरक्षित महसूस कर सकती हैं। किन्हें राखी बांधकर वो इस पर्व का बाकी लोगों जैसा आनंद उठा सकती हैं।
चलिए जानते हैं…धर्म भाई का मतलब
जानकारों के अनुसार अगर आपका कोई भाई नहीं है और आपको भाई को राखी बाँधना है या अगर आप ये सोचती हैं कि एक पुरुष ही आपके सम्मान की रक्षा कर सकता है, तो आप एक धर्म भाई बना सकती हैं। धर्म भाई बनाने की परम्परा हमारे समाज में प्राचीन काल से चली आ रही है। अगर केवल इस भाव से आप राखी बांधना चाहती हैं कि कोई आपकी सुरक्षा करे, तो आप अपनी बड़ी बहन, माँ, गुरु, पिता या माता को भी राखी बांधकर उनके प्रति सम्मान, आभार और सुरक्षा का भाव व्यक्त कर सकती हैं। रक्षाबंधन का मूल ही यही है कि जो भी आपकी रक्षा करता है, वो आपकी राखी का हकदार है।
राखी बांधते समय, बहनें ये मंत्र पढ़ सकती हैं…..
“ॐ येन बद्धो बलि राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥” यह मंत्र रक्षा के संकल्प को।