योग परिवार ने डॉ राधाकृष्णन की 137वीं जयंती पर मनाया शिक्षक सम्मान दिवस

शिक्षक बालक का शिल्पकार है: प्रवीण आर्य

गाज़ियाबाद। अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान के तत्वावधान में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 137वीं जयंती पर शिक्षक सम्मान दिवस का आयोजन किया गया।

केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के प्रदेश अध्यक्ष एवं मंच संचालक प्रवीण आर्य ने ओ३म् की ध्वनि और गायत्री मंत्र से योग सत्र क़ो प्रारम्भ किया उन्होंने वीरेचन क्रिया,आर्ट ऑफ़ लिविंग भस्रिका एवं हाथों पैरों के सुक्षम व्यायाम कराये और कहा कि शिक्षक स्वयं जलकर शिष्य को प्रकाशित करता है।उन्होंने कहा कि शिक्षक वह जो शिष्य को शिक्षित करे,उसे ज्ञान दे,एक अच्छा सभ्य और सफल इंसान बनाए। आसान शब्दों में कहें तो शिक्षक एक शिल्पकार होता है जो पत्थर को तराश कर सुंदर आकृति प्रदान करता है। एक अच्छा शिक्षक अपने छात्र का हमेशा भला चाहता है। शिक्षक में वो सारे गुण मौजूद होने चाहिएं,जो छात्र को क्षमतावान बना सके।

योगाचार्य नेतराम ने कहा कि शिक्षक केवल वही नहीं होता है जो हमे सिर्फ स्कूल,कॉलेजों में पढ़ाये,शिक्षक वो भी है जो हमे जीवन जीने की कला सिखाता है। गायिका सुमन बंसल,जॉली शर्मा आदि ने ओजस्वी गीतों से समा बांध दिया।

वरिष्ठ योग शिक्षिका वीना वोहरा ने कहा कि माता पिता गुरु हीं सच्चे पथप्रदर्शक हैं सचमुच यदि ये कहा जाए कि माता पिता ईश्वर के समतुल्य है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। माता पिता व गुरु ही जीवन जीने की कला का सही मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।गुरु ज्ञान के दीपक की बाती होता है जो खुद जलकर संसार को ज्ञान से आलोकित करता है।शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सभी को संकल्प लेना होगा कि शिक्षकों को पूरा सम्मान प्रदान करें तभी शिक्षक दिवस मनाना सार्थक सिद्ध होगा।

योग शिक्षिका मीनाक्षी अग्रवाल ने कहा कि सर्वप्रथम शिक्षक अपने छात्र को संस्कार की शिक्षा देते हैं ताकि बच्चे संस्कारवान बन सके।शिक्षक अपने छात्रों से देश प्रेम करना भी सिखाता है। देश हमें सब कुछ देता है जिसकी हमें आवश्यकता होती है, तो हमारा भी दायित्व हो जाता है कि हम भी देश के लिए कुछ विशेष करें।शिक्षक अपने छात्रों को उन्हें उनके कर्तव्यों तथा अधिकार के विषय में विस्तार से बताते हैं।एक प्रकार से देखा जाए तो एक शिक्षक अपने छात्रों को आग में तपा कर,सर्दी में ठिठुराकर तथा ज्ञान की वर्षा में भिगोकर उसे होनहार व्यक्ति बनाते हैं।उसका चरित्र निर्माण करते हैं,उसे संस्कारवान, अनुशासित तथा देश प्रेमी बनाते हैं।जिससे वह अच्छे समाज का निर्माण कर सकें।

योग साधिका अम्बिका गर्ग ने कहा कि आज भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की 137वीं जयंती है।उन्हे बचपन से ही किताबों से बहुत लगाव था।डॉ॰ राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे।उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।
योग शिक्षिका विभा भारद्वाज ने कहा कि शिक्षक देश के भविष्य और युवाओं के जीवन को बनाने और उसे आकार देने के लिये सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

इस अवसर पर राजकुमार चौधरी, सत्यम भारद्वाज,जॉली शर्मा,वीनस गोयल आदि ने भी अपने विचार रखें।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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