शंकराचार्य ने किया संगठन के वेबसाइट का लोकार्पण
प्रतापगढ़ (यू पी)।
पट्टी तहसील के मेला ग्राउंड निवासी राजा सक्षम सिंह योगी द्वारा छात्रों और युवाओं के लिए बनाए हुए संगठन भारतीय विद्यार्थी संगठन (BYVS) को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में संगठन का विस्तार भी हुआ। पूर्व की कार्यकारिणी को भंग कर नई कार्यकारिणी की घोषणा हुई।
संगठन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा सक्षम सिंह योगी ने संगठन के उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताया । साथ ही संगठन की वेबसाइट का अनावरण भी हुआ। इस अवसर पर विभिन्न स्कूल- कॉलेज के विद्यार्थी व सैकड़ों युवा मौजूद रहे । ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने वेबसाइट का अनावरण कर संगठन के नवनियुक्त पदाधिकारियों को शुभकामना देते हुए कहा कि युवा किसी भी क्षेत्र मे आगे बढ़े लेकिन भारतीयता उनके चाल-ढाल और व्यवहार में दिखना चाहिए। उन्होंने कहा हमने भारतीय युवा विद्यार्थी संगठन को आशीर्वाद दिया है कि संगठन युवाओं के भीतर विलुप्त भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण करें और युवाओं शुद्ध सनातनी राजनीति में आगे आने के लिए प्रेरित करें। अब समय आ गया है कि सच्चे सनातनी युवा देश की बागडोर संभाले और इसका बीज हमे बचपन से ही विद्यार्थीओं के मन में अंकुरित करना पड़ेगा।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा “धर्म ही जीवन का विज्ञान है, जो हमें पशुता से उठाकर सही मार्ग पर ले जाता है।” सभी युवाओं को संगठित होकर धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
संगठन के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष राजा सक्षम सिंह योगी ने ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य के प्रति प्रणाम करते हुए कहा कि आज भारतीय युवा विद्यार्थी संगठन साक्षात शिव स्वरूप शंकराचार्य जी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन पाकर धन्य ही गया । ये हमारे लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि हमारी वेबसाइट का अनावरण पूज्य शंकराचार्य जी के कर कमलों से हुआ।
संगठन के उद्देश्यों को बताते हुए राजा सक्षम योगी ने कहा कि हमारा उद्देश्य युवाओं को सनातन धर्म और वैदिक संस्कारों से जोड़कर राष्ट्र निर्माण में अग्रसर करना है।
आज युवा बेरोज़गारी, पेपर लीक और शिक्षा पर लगाई गई भारी-भरकम फीस व GST जैसी नीतिगत समस्याओं से जूझ रहा है। ऐसी परिस्थिति में संगठन युवा शक्ति को संगठित कर उनकी खामोशी को बुलंद आवाज़ देगा और उन्हें शिक्षित, स्वावलंबी एवं धर्मनिष्ठ बनाएगा। हम गौ माता की रक्षा, भारतीय संस्कृति के पुनर्जागरण और धर्म-राष्ट्र की सेवा को अपना प्रथम कर्तव्य मानते है।