एमएमजी हॉस्पिटल का तो भगवान ही मालिक है

अस्पताल परिसर में कुत्ते खींच रहे थे ब्लड से भरे बैग – प्रबंधन ने दिए जांच के निर्देश

गाजियाबाद। एक तरफ जहां सरकार और कुछ निजी संस्थाएं रक्तदान करने के लिए लोगों को प्रेरित करती हैं और समय-समय पर रक्तदान शिविर भी लगवाती हैं। इन रक्तदान शिविरों में जब व्यक्ति अपना रक्तदान करता है तो उसकी यही सोच होती है कि उसके इस दान किए गए रक्त को संस्थाएं संभाल कर रखेंगी और उनका यह रक्त वक्त पड़ने पर किसी व्यक्ति के काम आ सकेगा।

2 अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर पूरे शहर में कई संस्थाओं ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया था जिसमें हजारों व्यक्ति ने रक्तदान भी किया। इन रक्तदाताओं के द्वारा दिए गए रक्त को संस्थाएं कितना संभाल कर रखती हैं इस की एक बानंगी कल जिला एमएमजी अस्पताल और ब्लड बैंक प्रबंधन की बड़ी लापरवाही के रूप मे सामने आई है। अस्पताल परिसर में ब्लड से भरे बैग सड़क पर पड़े हुए नजर आए। कुछ बैग को कुत्ते भी खींचकर ले गए। ब्लड बैग की संख्या एक दो नहीं दर्जनों में थी।

ब्लड बैगों को एक बोरे में डालकर बायो वेस्ट डिस्पोज रूम में फिंकवाया गया था। जहां से बायो मेडिकल वेस्ट ले जाने वाली कंपनी इस वेस्ट को उठाकर ले जाती है। अस्पताल कर्मियों की लापरवाही के कारण रूम का शटर कुछ खुला रह गया और कुत्तों ने ब्लड बैगों को बोरे में से निकाल लिया।

यह सब किसकी गलती से हुआ ये तो गंभीर बात है ही लेकिन यह ब्लड फेंका क्यों गया था, इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है।
एमएमजी अस्पताल में सोमवार दोपहर कुत्ते अचानक खून से भरे बैग लेकर घूमते नजर आए। इस नजारे को देखकर वहां से गुजर रहे लोग दहशत में आ गए। जानकारी करने पर पता चला कि कुत्तों ने ब्लड से भरे बैग एक रूम से निकाले हैं। रूम में एक बोरी में खून के कई बैग थे, जिनमें कुछ बैग कुत्ते खींचकर बाहर निकाल लाए। लोगों ने कुत्तों को भगाया तो कुत्ते कुछ बैग खींचकर साथ ले गए और कुछ बैग वहीं पड़े रह गए।

इस मामले में ब्लड बैंक के अधिकारी ए के तोमर कहते हैं कि यह ब्लड बैंक से नहीं फेंके गए। उन्होने कहा कि मामले की जानाकरी उन्हें है। उन्होंने ब्लड बैग देखे हैं, लेकिन उनमें सभी बैग खाली हैं। यदि कुछ बैग भरे भी हैं तो उनका ब्लड बैंक से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि ब्लड बैंक से अस्पताल प्रबंधन ने मरीजों को चढ़ाने के लिए खून मंगवाया हो और मरीजों को खून चढ़ाया न गया हो। जिसके बाद ब्लड को खराब मानकर स्टाफ ने बायो मेडिकल वेस्ट में फेंक दिया हो। एके तोमर ने बताया कि ब्लड बैंक में यदि ब्लड खराब हो जाता है, तब भी उसे फेंका नहीं जाता। खराब होने वाले ब्लड को दवा कंपनियों को दे दिया जाता है, जो दवाएं बनाने के काम में आता है। अस्पताल की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए एक कंपनी से अनुबंध किया गया है। कंपनी सप्ताह में एक बार मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करती है। बायो मेडिकल वेस्ट को सुरक्षित रखने के लिए अस्पताल परिसर में तीन कमरे बनाए गए हैं, जिनमें वेस्ट को जमा किया जाता है। तीन तरह के वेस्ट को अलग-अलग कमरों में रखा जाता है। इन कमरों के हमेशा बंद करके रखा जाता है, जिससे कोई भी वेस्ट किसी के भी संपर्क में न आ सके।

इस बारे में जब अस्पताल के सीएमए डॉक्टर मनोज चतुर्वेदी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल से निकले बायो मेडिकल वेस्ट पर एक चिट लगाई जाती है। जो बैग सड़क पर पड़े मिले हैं, उन पर कोई चिट नहीं है। ऐसे में इस बात की भी आशंका है कि बाहर से किसी ने ये बैग अस्पताल के बायो मेडिकल वेस्ट रूम डाले हैं। मामले की गहतना से जांच करवाई जाएगी और उसके बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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