गाजियाबाद। राज्य स्वास्थ्य शिक्षा संस्थान द्वारा भास्करानंद वैदिक क्योर केंद्र में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आयोजक डॉ. राजीव बिश्नोई व डॉ. जया चौधरी ने बताया कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य अपने शरीर, मन और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के प्रति सजगता की भावना को जगाना और समाज के सभी व्यक्तियों में प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति जागरूकता एवं विश्वास बढाना है। उन्होंने बताया कि संस्थान में प्राकृतिक चिकित्सा एवं आयुर्वेद के सिद्धांतों का पालन करते हुए प्राकृतिक चिकित्सा, हर्बल, आयुर्वेद,योग,एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, सुजा डाटा थेरेपी, माइक्रो करंट थेरेपी, अरोमा थेरेपी, फ्रीक्वेंसी थेरेपी,मेडिसिन टेस्ट, तरंग चिकित्सा, नाडी चिकित्सा, पोटली मसाज, कटिंग थेरेपी, तनु बस्ती, कटी बस्ती लीच चिकित्सा, स्टीम बाथ, मिट्टी चिकित्सा आदि इलाज किया जाता है।
प्राकृतिक चिकित्सा शिविर में योग की जानकारी देते हुए योगाचार्य और नेचुरोपैथ रेनू तेवतिया ने सांसों के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि योग के साथ सिर्फ एक्सरसाइज ही नहीं की जाती सांसों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कुछ चेयर योग और प्राणायाम भी कराये। प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. राजीव विश्नोई ने अपने प्राकृतिक चिकित्सा के 25 वर्षों के अनुभव के द्वारा सभी को प्राकृतिक चिकित्सा क्या है और इसके द्वारा कैसे ट्रीटमेंट किया जाता है इसकी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में 16 संस्कार होते हैं परंतु 16 संस्कार से अलग एक और संस्कार है गर्भ संस्कार लगभग 15 वर्ष के अनुभव के साथ आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुप्रिया वाधवा ने इस गर्भ संस्कार के विषय में सभी को जानकारी दी।
कार्यक्रम के अतिथि डॉ. इंद्राणी वर्मा (रिटायर्ड प्रिंसिपल-वी.एम.एल.जी. महाविद्यालय) ने बताया कि एलोपैथिक दवाई भी नेचुरोपैथी से ही ली गई है। प्रकृति से कुछ एसेंस लेकर उन्हें केमिकल में परिवर्तित करके एलोपैथिक दवाइयां तैयार की जाती हैं इसलिए एलोपैथी और नेचुरोपैथी का आपस में गहरा संबंध है। अशोक सिंघल (ओनर ऑफ़ मेवाड इंस्टीट्यूट व वरदान अस्पताल के प्रबंधक) ने अपने प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा कराए गए ट्रीटमेंट के अनुभवों को सभी के साथ साझा किया। ग्रीनमैन विजय पाल बघेल ने बताया कि हमारा जीवन सांसों की गिनती पर टिका है वर्षों पर नहीं। हमारी जितनी लंबी सांसें होंगी उतना ही लंबा हमारा जीवन होगा। उन्होंने कहा सांसों को लंबा करने के लिए हमें ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा में आवश्यकता होती है और यह ऑक्सीजन हमें पेड़- पौधों से मिलती है। अतः हमें पेड़- पौधों की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिए। एल्ट सैंटर के रिटायर्ड एम.के. सेठ ने कुछ उदाहरण देकर प्रकृति और मानव के बीच के संबंध को स्पष्ट करते हुए बताया कि प्रकृति का हमारे जीवन में और स्वस्थ रहने में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा अगर हम चाहे तो प्रकृति के साथ जुड़कर अपना जीवन स्वस्थ रूप से जी सकते हैं। प्रभारी खेल अधिकारी गाजियाबाद पूनम बिश्नोई के द्वारा सभी देव- आत्माओं का हृदय से धन्यवाद दिया गया उन्होंने वेदों की ओर लौटो विषय पर अपना उद्बोधन दिया।
कार्यक्रम का संचालन योगाचार्य, रेकी मास्टर हीलर व नेचरोपैथ अर्चना शर्मा ने किया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्र में कार्यरत ईशा, निशा और शैलेंद्र का पूर्ण सहयोग रहा।
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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट