बच्चे बच्चे के हृदय में राम नाम का वास है : चेतन आनंद
गाजियाबाद। अयोध्या में जहां 22 जनवरी को रामलला मंदिर मे प्राण प्रतिष्ठा होनी है और पूरे देश में इस समय राम नाम के जयकारों की गूंज सुनाई दे रही है। हर कोई व्यक्ति रामलला के मंदिर में किसी भी प्रकार से कुछ ना कुछ सेवा करने को आतुर है।
पूरे देश इस समय जहां राम के भजनों से गुंजायमान है वही रामलला के गुण गाने में कवि भी पीछे नहीं है। देश के जाने-माने कवि गाजियाबाद निवासी चेतन आनंद ने अपनी काव्य रचना के माध्यम से राम की महिमा का गुणगान किया है।
कवि चेतन आनंद द्वारा रचित काव्य रचना
जनक छंद
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सबके अधरों पर मुखर,
एक यही बस नाम है,
राम, राम बस राम है।
चरण पड़े जब राम के,
भाग्य खुले, पुलकित नयन,
सकल अयोध्या धाम के।
सकल काज तन के तजो,
घर लौटे श्रीराम हैं,
राम-राम मन से भजो।
पाकर यह शुभसूचना,
घर-घर, चौराहे, गली,
खूब मने दीपावली।
नहीं नयन को चैन है,
कहाँ हृदय आराम है,
साँस-साँस में राम है।
राम-राम जग बोलता,
लगता कानों में कहीं,
कोई मधुरस घोलता।
प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी,
आती पल-पल पास है,
बढ़ती जाती प्यास है।
बच्चे-बच्चे के हृदय,
राम-नाम का वास है,
बहुत सुखद अहसास है।
सरयू भाव विभोर है,
हर तट गूँजे रामधुन,
राम-लहर हर ओर है।
भजन कहीं गुंजित हुए,
बजे बधाई-गीत हैं,
खुशियाँ आशातीत हैं।
राम तुम्हारे पाँव का,
स्पर्श मिला, हर्षित हुआ,
कोना मन के गाँव का।
प्राण प्रतिष्ठा की ख़बर,
जब से आई सामने,
जनमानस पुलकित-मुखर।
रह-रहकर तरसें नयन,
नित्य अयोध्या धाम को,
चल देखें श्रीराम को।
सच्चाई जीती सदा,
झूठ भला कब जीतता,
बस मन को इतना बता।
गली-गली में राम हैं,
चौराहे पर राम हैं,
गुंजित चारों धाम हैं।
जो भी थे अवसाद में,
फूलों के मुखड़े खिले,
पाँच दशक के बाद में।
गुण गाओ श्रीराम के,
भाग्य खुले हैं देखिये,
आज अयोध्या धाम के।
पल-पल ललित ललाम-सा,
देश अयोध्या बन गया,
हर बालक है राम-सा।
नज़र-नज़र में राम है,
धड़कन-धड़कन राम की,
चर्चा आठों याम है।
पुण्य-सुमन फिर से खिले,
टूटी मटकी पाप की,
राम प्रतीक्षा आपकी।
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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट