गाज़ियाबाद। देश के जाने माने नाट्य निर्देशक अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव द्वारा लिखित, परिकल्पित एवं निर्देशित नाटक चन्द्रशेखर आज़ाद का मंचन गाज़ियाबाद में संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार के सहयोग से थर्टीन स्कूल ऑफ टेलेन्ट डेवलपमेंट के द्वारा किया गया।
नाटक में एक हिंदुस्तानी दरोगा को पत्थर मारने के जुर्म में जब एक 15 वर्षीय बालक चंद्रशेखर को अंगेज जज के सामने पेश किया गया और सरकारी वकील द्वारा आरोप सुनाए जाने पर चन्द्रशेखर द्वारा निडरता व निर्भरता पूर्वक जबाव दिए जाने पर बालक समझने की भूल करने वाले बिर्टिश जज की सिट्टी पिट्टी गुल हो गई और जज ने तैश में आकर 15 बेंत मारने की सख्त सजा सुना दी…के दृश्य से आरम्भ नाटक ने दर्शकों को अनेको बार तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
बाग के केयरटेकर चन्द्रशेखर के पिता सीता राम तिवारी ने मुफ्तखोर तहसीलदार से सरकारी बाग से बिना मूल्य चुकाए पैसे वसूली का दृश्य चन्द्रशेखर को मिले संस्कारों को बता गया। पूरे नाटक में क्रांतिकारी चन्द्रशेखर को देश की आजादी के प्रति दीवानगी व समर्पण का संदेश दिया गया। नाटक में कुछ ऐसे तथ्यों को भी उजागर किया गया जैसे एक दृश्य है जिसमे चन्द्रशेखर भगत सिंह को जेल से छुड़ाने में मदद मांगने के लिए पण्डित जवाहरलाल नेहरू के इलाहाबाद स्थिति आनन्द भवन आवास पर जाते है और पंडित नेहरू उनकी कोई भी मदद करने से न केवल इनकार करते है बल्कि उल्टे क्रांतिकारियों को अंग्रेजों से समक्ष समर्पण करनी की सलाह देते है। जिससे चन्द्रशेखर नाराज होकर अल्फ्रेड पार्क पहुँच जाते है जहाँ मुखबरी के चलते उन्हें पुलिस घेर लेती है। अपने आपको चारों ओर से घिरा देखकर चन्द्रशेखर धैर्य के साथ अंगेज पुलिस बल से मुकाबला करते है और अंत में आखिरी बची गोली से खुद को उड़ा डालते है। तकनीकी तौर पर नाटक के दृश्य मंचन बिल्कुल ऐसे लग रहे थे मानो हम उसी काल मे खड़े हो। अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव के मँझे हुए निर्देशन में प्रत्येक कलाकार ने अपने किरदार में मानो जान फूंक दी हो।
नाटक मे पारस ने चंद्रशेखर आज़ाद की भूमिका में शानदार अभिनय किया तो दूसरी ओर वंश मेहता ने युवा चंद्रशेखर आज़ाद, व सीआईडी इंस्पेक्टर बने। 52 से अधिक नाटकों में भूमिका निभा चुके रंगमंच कलाकार प्रमोद शिशोदिया ने तहसीलदार व सेठ दिलसुख राये का किरदार निभाया तो वहीं कोमल कुमार जज,
अदित श्रीवास्तव वकील, प्रणवेश और बटुकेश्वर दत्त,
आर्यन सोलोमन मन्मथ और नेपाली नौकर, अदिति सोलोमन कमला नेहरू, अक्षत शर्मा जल्लाद, अशफ़ाक़ उल्लाह खान और सीआईडी इंस्पेक्टर, अदित्य श्रीवास्तव युवक व मुकुंदी, नीतू जगरानी (चंद्रशेखर आज़ाद की माता), हर्षिता भटनागर ने पी. ए. कमला नेहरू, कल्याणी मिश्रा: रुक्मणी, आकाश पुलिस, राजेंद्र लाहड़ी और सुखदेव थापर, अभिनव सचदेवा : संपूर्णानंद और मास्टर रुद्रनारायण, ऋषभ सहगल : अंग्रेज ऑफ़िसर, मुनीम जी और पुलिस (दुर्गा भाभी सीन), निखिल भगवती चरण वोहरा, चायवाला और कुंदन बॉल, शिवम् सिंघल अंग्रेज़ ऑफिसर, भगत सिंह और (पुलिस) सेकेट्री, श्रेयस अग्निहोत्री अंग्रेज ऑफिसर का किरदार निभाया।
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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट