सबसे बड़े गेम चेंजर साबित हो सकते हैं वसुंधरा एवं नायडू
नई दिल्ली। 9 सितंबर को होने वाला उपराष्ट्रपति का चुनाव एक तरफ जहां भाजपा और एनडीए के लिए नाक का सवाल बन गया है वही इंडिया गठबंधन इस चुनाव को जीतकर भारतीय राजनीति में बड़ी उलटफेर करने की कोशिश में है। अगर संख्या बल के हिसाब से देखा जाए तो 425 वोट लेकर एनडीए प्रत्याशी सी पी राधाकृष्णन बड़ी मजबूत स्थिति में है वही इंडिया गठबंधन प्रत्याशी बी सुदर्शन रेड्डी लगातार सांसदों से मुलाकात करते हुए अपनी जीत का दावा कर रहे हैं।
भारतीय राजनीति के इतिहास में अब से पहले कभी उपराष्ट्रपति के चुनाव में इतनी माथा पच्ची नहीं हुई। सत्ता पक्ष का उम्मीदवार हमेशा अपने संख्या बल के आधार पर आसानी से विजय प्राप्त कर लेता था। राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार जहाँ महाराष्ट्र में नितिन गडकरी और शिंदे की मुलाकात ने जहां एक तरफ भाजपा की चूले हिला रखी थी वहीं दूसरी तरफ जोधपुर के आदर्श विद्या मंदिर में संघ प्रमुख मोहन भागवत एवं वरिष्ठ भाजपा नेता वसुंधरा राजे सिंधिया की मुलाकात ने भाजपा के अंदर चल रही बगावत के धुएं को और बल प्रदान किया है।
राजनीतिक सूत्रों की माने तो जब से गडकरी के बेटों को इथेनॉल मामले में लपेटने की कोशिश की गई तभी से नितिन गडकरी ने खुले तौर पर बगावत के संकेत देने शुरू किए हैं। दूसरी तरफ वसुंधरा राजे और मोहन भागवत की मुलाकात ने गुजरात लॉबी के पसीने छुड़ा रखे हैं। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सभी भाजपा सांसदों को शनिवार को ही दिल्ली में बुला लिया है। जबकि इन सभी सांसदों को सोमवार को प्रधानमंत्री के डिनर में शामिल होना था।
अब देखना है कि मंगलवार को उपराष्ट्रपति का चुनाव किस करवट बैठेगा। अगर एनडीए प्रत्याशी सी पी राधाकृष्णन पर्याप्त संख्या बल होते हुए भी चुनाव हार जाते हैं तो यह केंद्र सरकार की बहुत बड़ी हार होगी जिसका असर आगे आने वाले समय में केंद्र सरकार पर भी पड़ सकता है।