गाजियाबाद नगर निगम विकास कार्यों के प्रति इतना उदासीन क्यों

गाजियाबाद। नगर निगम द्वारा विकास कार्यों का जो दावा कागज़ों पर किया जा रहा है, उसकी असलियत ज़मीनी स्तर पर शून्य दिखाई देती है। नगर निगम अम्बेडकर रोड, एक्सप्रेस मार्केट, हंस प्लाज़ा, गाजियाबाद टॉवर, यमनोत्री टॉवर और गंगोत्री टॉवर जैसे प्रमुख इलाकों में करोड़ों रुपये का टैक्स वसूल तो कर रहा है, लेकिन वहाँ के निवासियों और व्यापारियों को विकास कार्यों का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय नागरिकों व व्यापारियों की लगातार शिकायतों के बावजूद यहाँ गंदगी, टूटी सड़कें, सीवर जाम, पार्किंग की समस्या और ग्रीन बेल्ट पर अवैध कब्ज़ा जस का तस है। नगर निगम की लापरवाही इतनी अधिक है कि वर्षों से समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी हुई हैं और निगम अधिकारियों द्वारा केवल आश्वासन और काग़ज़ी कार्रवाई दिखाई जाती है।

टैक्स की लूट, विकास शून्य

नगर निगम हर साल करोड़ों रुपये हाउस टैक्स, व्यापार कर, पार्किंग शुल्क और अन्य करों के रूप में वसूल करता है। लेकिन इन पैसों से विकास कार्य करने के बजाय केवल कागजों में फाइलें आगे-पीछे की जाती हैं। अंबेडकर रोड, एक्सप्रेस मार्केट और उसके आसपास का इलाका लगातार जर्जर होता जा रहा है। ग्रीन बेल्ट को पार्किंग और अवैध कब्ज़ों के हवाले कर दिया गया है। दुकानदारों और निवासियों के लिए मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं।

एक मुलाकात के दौरान समाजसेवी एवं पर्यावरणविद प्रदीप डाहलिया ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से नगर निगम और संबंधित विभागों को बार-बार पत्र लिखकर, शिकायतें दर्ज कराकर और व्यक्तिगत रूप से अधिकारियों को अवगत कराकर इस समस्या को उजागर करते रहे है लेकिन नगर निगम और जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ते रहे हैं।

ग्रीन बेल्ट पर अतिक्रमण

गाजियाबाद के लिए फेफड़ों की तरह काम करने वाली ग्रीन बेल्टें लगातार अवैध कब्ज़ों और व्यावसायिक इस्तेमाल की भेंट चढ़ रही हैं। अंबेडकर रोड और उसके आसपास पेड़ काटे जा रहे हैं, जगह-जगह अवैध निर्माण हो रहे हैं, लेकिन नगर निगम आँखें मूँदे बैठा है। यह न केवल पर्यावरणीय अपराध है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से खिलवाड़ भी है। नगर निगम को जनता से टैक्स वसूलने का अधिकार सिर्फ इसीलिए दिया गया है ताकि वह बदले में जनता को साफ-सफाई, सड़क, पानी, सीवर और हरियाली जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करा सके। लेकिन वर्तमान में निगम केवल टैक्स वसूलने तक सीमित है, जबकि जनता को बदले में केवल गंदगी, प्रदूषण और अव्यवस्था मिल रही है।

भ्रष्टाचार और काग़ज़ी खेल

नगर निगम में विकास कार्यों का पूरा खेल भ्रष्टाचार पर आधारित है। अधिकारी और ठेकेदार मिलकर योजनाओं को केवल फाइलों और रिपोर्टों में ही पूरा दिखा देते हैं। जमीनी स्तर पर न तो सड़कें बनती हैं, न ही सीवर ठीक होता है और न ही कोई स्थायी समाधान निकलता है। टैक्स से जमा धन की लूट-खसोट आम बात बन चुकी है।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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