रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास ने कराया सुंदरकांड पाठ

       गाजियाबाद। त्रुवाए फ्रेगरेंस सिद्धार्थ विहार गाज़ियाबाद में रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास द्वारा सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया।  रोटेरियन अनिल गर्ग के द्वारा त्रुवाए फ्रेगरेंस सिद्धार्थ विहार गाज़ियाबाद में नवनिर्मित क्लब हाउस के उद्घाटन अवसर पर सुंदरकांड का पाठ किया गया और प्रसाद की व्यवस्था की थी। क्लब पर्यावरण फ्रेडली बनाया गया … Read more

डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने राष्ट्रवादी नवनिर्माण दल से दिया त्यागपत्र

गाजियाबाद।राष्ट्रवादी नवनिर्माण दल के प्रदेश महासचिव एवं चिकित्सा प्रभारी उत्तर प्रदेश डॉक्टर बृजपाल सिंह त्यागी ने पार्टी के सभी पदों व दायित्व से त्यागपत्र दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रवादी नवनिर्माण दल पार्टी के अध्यक्ष को भेजा है।  राष्ट्रवादी नव निर्माण दल के प्रदेश महासचिव एवं चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवसर … Read more

गलत लोगों से मित्रता करने के बजाय उन्हें तुरंत त्याग देना चाहिए : बीके शर्मा हनुमान

 गाजियाबाद। विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि मनुष्य अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रयत्न करता रहता है, लेकिन इन प्रयत्नों में सभी लोग सफल नहीं हो पाते। अधिकांश को असफलता का स्वाद चखना पड़ता है। वास्तव में लोग अपनी जीवन यात्रा में सही समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते।
 मनुष्य अपने जीवन में सही लोगों का चुनाव नहीं कर पाते। गलत व्यक्ति की संगति का चुनाव उन्हें जीवन भर कुमार्ग पर चलने पर विवश कर देता है। जब हम अपने जीवन में मित्र का चुनाव करते हैं तो यह बड़ा महत्वपूर्ण समय होता है। अगर हमने गलती से भी गलत व्यक्ति का सान्निध्य स्वीकार कर लिया, तो हम स्वयं जीवन में विकृतियों को आमंत्रित करने लगते हैं। नशा, बुरी आदतें, असत्य, चोरी आदि प्रवृत्तियां यहीं से जन्म लेती हैं। वास्तव में कुसंग एक ज्वर की भांति होता है और यदि इस ज्वर का ज्वार एक बार चढ़ जाए तो फिर जीवन भर उतरने का नाम नहीं लेता।
कुसंग रूपी दलदल हमें लीलने को आतुर रहता है। हम उस दलदल में फंसते और धंसते चले जाते हैं। इसीलिए हमें कुसंग के बादलों के मंडराने से पूर्व ही स्वयं का मार्ग बदल लेना चाहिए। अगर लगे कि हमने गलत लोगों को मित्रता के लिए चुन लिया है तो तुरंत उनसे संबंध त्याग देना चाहिए। आपका यह विवेक ही आपको और आपके जीवन में घटित होने वाले अनर्थ से बचा सकता है। दूसरी ओर, सत्संग से जीवन में विकृतियों को तिलांजलि दी जा सकती है। उन्हें बहुत हद तक खत्म किया जा सकता है। सत्संग ही कुसंग के ज्वर को समाप्त करने की प्रभावी सामर्थ्य रखता है। कुसंगति में पड़कर जीवन की सामर्थ्य को खत्म करने से अच्छा है कि सत्संगति का सुधापान कर अपने जीवन को आलोकित किया जाए।
कुसंग का मार्ग वीभत्स है। तिमिर से भरा हुआ है। वहीं सत्संग का आलोक जीवन में उजास और उल्लास को आमंत्रित करता है। सत्संग का मार्ग जीवन की ध्येय यात्रा में सफलता के मोती जड़ता चला जाता है। जीवन को सुंदर एवं सार्थक बनाता है।
 ‘ये दुनिया बड़ी मतलबी है साहब, यहां उंगली पकड़ाओ तो लोग हाथ खींच लेते हैं।’ ये कोट आजकल की दुनिया और लोगों के ऊपर सटीक बैठता है। एक समय था जब लोग बिना किसी सेल्फिश रीज़न के एक दूसरे से मिला करते थे, बात किया करते थे, साथ में समय बिताया करते थे और मदद भी किया करते थे। मगर आजकल की दुनिया में कोई बिना किसी मतलब के दोस्ती भी नहीं करता तो मदद करना दूर की बात है। ये दुनिया स्वार्थी लोगों से भरी पड़ी है।
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 वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

 

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