हरियाली तीज पर ‘महफ़िल ए बारादरी’ में गाए गए मोहब्बत के तराने

आत्ममुग्धता लेखन में ठहराव उत्पन्न करती है : डॉ. कीर्ति काले गाजियाबाद। लोकप्रियता की होड़ ने लोगों की रचना धर्मिता और रचना प्रक्रिया को इतना अधिक प्रभावित कर दिया है कि अधकचरा लेखन ही आत्म संतुष्टि का पर्याय होता जा रहा है‌। रही सही कसर फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे पटल पूरी कर देते हैं। … Read more