विभिन्न स्वरूपों में विश्व में लोकपूज्य हैं लीलापुरुषोत्तम : डॉ. माला कपूर
गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की नेहरू नगर और कवि नगर शाखाओं में बच्चों ने जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न स्वरूपों में श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर बच्चों ने श्रीकृष्ण व राधा के विभिन्न स्वरूपों में लोकप्रिय भजनों का बड़ी कुशलता से मनोहारी मंचन किया। स्कूल की निदेशक डॉ माला कपूर ने बच्चों को श्रीकृष्ण के विराट व्यक्तित्व व उनकी आध्यात्मिक चेतना से अवगत करवाया।
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की दोनों शाखाओं में नन्हे-मुन्नों की बाल कृष्ण लीला का आनन्द लेने बड़ी संख्या में अभिभावक उपस्थित थे। अपने संबोधन में स्कूल की निदेशक डॉ. कपूर ने कहा कि श्रीकृष्ण अधर्म पर धर्म की जीत के प्रतिक हैं। वह प्रेम व वसुधैव कुटुंबकम् भाव के प्रेरक हैं। जिसका भाव यह है कि संपूर्ण विश्व एक परिवार है, हर व्यक्ति इस परिवार का एक सदस्य है। चाहे उसकी नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता या जातीयता कुछ भी हो। डॉ. कपूर ने बच्चों को अवगत कराया कि द्वापर युग में अवतरित श्रीकृष्ण भगवान के रूप में पूरे विश्व में लोकपूज्य हैं। विभिन्न लीलाओं व स्वरूपों की वजह से श्रीकृष्ण को विभिन्न नामों से पूजा जाता है। इसलिए लीला पुरुषोत्तम भी कहलाते हैं। ब्रज में वह बांके बिहारी हैं, गिरिधारी हैं तो गुजरात में द्वारकाधीश हो जाते हैं। नाथद्वारा में वह श्रीजी रूप में तो पंढरपुर में विट्ठल रूप में पूजे जाते हैं।
डॉ. कपूर ने कहा कि श्रीकृष्ण द्वारा रचित विश्व की पहली पुस्तक गीता युगों-युगों से मानव को नीतिगत शिक्षा देने का काम कर रही है। उन्होंने बच्चों से गीता के नियमित पाठ व उस पर अमल का भी आह्वान किया। इस अवसर पर स्कूल प्रभारी उमा नवानी, सोनिया सेहरा, मंजू कौशिक सहित बड़ी संख्या में स्टाफ व अभिभावक उपस्थित थे।
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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट