राजनगर रामलीला में हुआ कुम्भकरण और मेघनाथ का वध एवं सुलोचना सती प्रसंग

गाजियाबाद। श्री रामलीला समिति राजनगर में शुक्रवार रामनवमी के दिन रावण के भाई कुम्भकरण तथा पुत्र मेघनाथ के वध का प्रसंग प्रस्तुत किया गया। साथ ही सती सुलोचना के प्रसंग भी बड़ी ही खूबसूरती से दर्शाया गया।

युद्ध में जब शक्ति बाड लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं तब हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने के बाद लक्ष्मण को पुनः जीवनदान मिलने से रावण हैरान परेशान है क्योंकि वह जानता है कि शक्ति का उपचार केवल वैद्य सुषेण को ही पता था। तब क्रोध में वह अपने भाई कुम्भकरण को नींद से जगाने का आदेश देता हैं । कुम्भकरण को नींद से जगाने के लिए बहुत प्रयास किए जाते हैं, ढ़ोल नगाड़े बजाए जाते हैं खाने पीने की तरह तरह की सुगंध से उसे जगाने का प्रयास किया गया, तब कहीं जाकर वह जागा। कच्ची नींद जगाए जाने पर कुंभकरण दरबारी से पूछता है कि आज ऐसा क्या हुआ है जो मुझे अचानक नींद से जगाया गया है और तब रावण उसे राम तथा सीता का सारा वृतांत सुनाता हैं। सारी बातें जानने के पश्चात् कुम्भकरण भी रावण को उसकी गलती बताता हैं। भाई की गलती जानने के बावजूद कुंभकरण भाई रावण के कहने पर युद्ध मैदान में जाता है और राम लक्ष्मण से युद्ध करता है। युद्ध के दौरान कुम्भकरण मारा जाता हैं।

युद्ध भूमि में अपने भाई की मृत्यु के समाचार से व्यथित रावण अपने पुत्र इन्द्र जीत अर्थात् मेघनाथ को युद्ध में लड़ने के लिए भेजता है। मेघनाथ पिता को समझाता है कि वह कोई साधारण मनुष्य नहीं हैं , उनसे युद्ध मत कीजिए। तब रावण उसे धिक्कारता है कि तू मेरा पुत्र नहीं है। पिता के वचन सुनकर वह युद्ध में जाने से पहले अपनी पत्नी सुलोचना से मिलने जाता है। बातचीत के दौरान वह कहता है कि पिता की आज्ञा और देश हित के लिए उसे युद्ध में जाना ही पड़ेगा। युद्ध मैदान में पहुंच कर मेघनाथ राम और लक्ष्मण को ललकारता है। लक्ष्मण उसका शीश और भुजाएं काट देते हैं। तब उसकी एक भुजा लंका में जाकर गिरती है। दूसरी ओर जब मेघनाथ की पत्नी सुलोचना अपने पति का कटा हुआ हाथ देखती है तो वह कहती हैं कि यह तो मेरे स्वामी की भुजा है। मुझे आप पर विश्वास नहीं है । तब उसके पति का कटा हुआ हाथ सब वृतांत लिखकर बताता है। हाथ ने ही बताया कि उसका शीश राम के दल में ही है।
रावण से क्रोधित होकर वह स्वयं राम के दल में जाती है और पति का शीश वापस लाकर उसके साथ सती हो जाती है।

इस मौके पर श्री रामलीला समिति के संरक्षक एवं संस्थापक सदस्य जितेन्द्र यादव,अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता, कोषाध्यक्ष राजीव मोहन गुप्ता, मुख्य संयोजक राकेश मिश्रा,वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, जी पी अग्रवाल एवं अमरीश त्यागी, मेला प्रबंधक एस एन अग्रवाल एवं आलोक मित्तल, ऑडिटर दीपक मित्तल, स्वागताध्यक्ष के.पी .गुप्ता, उपाध्यक्ष आर.के.शर्मा , अनिल कुमार, दीपक सिंघल मोतीलाल गर्ग एवं सुन्दर लाल यादव, मंत्री मुकेश मित्तल, राजीव गुप्ता, प्रचार मंत्री रेखा अग्रवाल एवं सौरभ गर्ग, मदन लाल हरित, बीके अग्रवाल, ओमप्रकाश भोला, नरेश सिंगल, सांस्कृतिक मंत्री गोल्डी सहगल एवं विजय लुम्बा, मनीष वशिष्ठ, पंकज भारद्वाज, डॉ आरके पोद्दार एवं मधु पोद्दार, दीपक कांत गुप्ता, डीके गोयल सहित राजनगर के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे|

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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