सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में दो दिवसीय पॉम-पॉम शो का समापन

बच्चों ने दोहा, गीत, कविता और नाटक में दिखाई अपनी प्रतिभा

गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में पॉम-पॉम शो का भव्य स्तर पर आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय पॉम-पॉम शो का शुभारंभ व समापन बहुत धूमधाम और हर्षोल्लास से हुआ। कार्यक्रम में नर्सरी, केजी, प्रेप व कक्षा 1 और 2 के नन्हे मुन्नों ने हर प्रस्तुति में अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा।

शो के दौरान अपनी प्रतिभा के माध्यम से बच्चों ने सिद्ध कर दिया कि बचपन एक ऐसी मासूमियत भरी दुनिया है, जहां चिंता का कोई अस्तित्व नहीं होता। पेड़ों की छांव, बारिश में खेलना और बिना किसी डर के खुलकर हंसना, यही बचपन का असली आनंद है। उन्होंने अपनी प्रस्तुतियों के जरिए तह दर्शाने की कोशिश की कि हर छोटी चीज़ में खुशी ढूंढ लेना, मिट्टी के घरौंदों से बड़े सपने देखना और हर दिन एक नया अनुभव हासिल करना ही बचपन की खासियत है।

बच्चों को संबोधित करते हुए स्कूल की निदेशक तन्वी कपूर गोयल ने कहा कि बचपन ही वह समय है जब हमारा जीवन सबसे अद्भुत और समृद्धि भरा होता है। बच्चों का हंसना, खेलना, और सीखना हमारे समाज की नई पीढ़ी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


कार्यकम की शुरूआत स्वागत गीत और गणेश वंदना से हुई। कार्यक्रम का संचालन एकता कोहली, मंजु कौशिक, अदिति,अक्षत, पार्थ, लविका, काव्या और आद्या द्वारा किया गया। राग मियां मल्हार और मेघ मल्हार और जल संरक्षण पर आधारित मूक नाटिका ने दर्शकों की भरपूर तालियां बटोरीं। बच्चों की तुतलाती भाषा में बोले गए दोहे, श्लोक और मंत्र सभी के आकर्षण का केंद्र रहे। बच्चे अभिभावकों को यह समझाने में सफल रहे कि भगवान कण कण में व्याप्त है। पिता शब्द है जीवन दर्शन और मां जीवन का सार है। माता-पिता ही वह व्यक्ति हैं है। जिनके आशीर्वाद से हम सारी दुनिया को जीत सकते हैं। कार्यक्रम के आकर्षण का केंद्र बने अकबर बीरबल के नाटक और कव्वाली ने समां ही बांध दिया। रिदम ऑफ विक्ट्री, बिहू बोनांजा, द फ्यूचर अवेट्स, फ्यूजन, द डिवाइन जर्नी जैसे कार्यक्रमों ने सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। मशहूर शायर गोविंद गुलशन जी और संपादक आलोक यात्री मुख्य अतिथियों के रूप में उपस्थित रहे।

विद्यालय की फाउंडर और डायरेक्टर माला कपूर ने सभी अभिभावकों को संबोधित करते हुए तथा बच्चों की सराहना करते हुए कहा कि कितने लोग हैं जो मंच पर चढ़ने का साहस दिखा पाते हैं। अपने आशिर्वचनों से उन्होंने बच्चों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने कहा कि संस्कार हमारी धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमारी संस्कृति, परंपराएँ, और जीवन के मूल्यों को संरक्षित और आगे बढ़ाते हैं। उनके हाथों में भविष्य है और उनके सपनों का पोषण और सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है।

इस अवसर पर प्रधान अध्यापिका उमा नवानी, सोनिया सेहरा, एकता कोहली, मंजु कौशिक, मीना उत्तम, सुप्रिया, कुलदीप, वंदना, नम्रता, हिमांशी, गुंजन, नीना, चिरोश्री, पूजा, शालिनी, हिमानी, लवी, अक्षय तथा अनुज शर्मा उपस्थित रहे।

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वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट

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