नारी शक्ति बिल से जनगणना और परिसीमन की शर्त हटाकर महिलाओं को तुरंत राजनीतिक भागीदारी दे केंद्र सरकार: डॉली शर्मा
शिमला। कांग्रेस प्रवक्ता और गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र की पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती डॉली शर्मा ने कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता। अर्थात “जहां नारी की पूजा होती है, वहीं पर ईश्वर का वास होता है।” लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम की आड़ में देश की आधी आबादी को एक बार फिर छलने की कोशिश की गई है। क्योंकि यह बिल महिलाओं के लिए झुनझुना या लॉलीपॉप है।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में महिला आरक्षण बिल पर आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान अपना विचार व्यक्त कर रही थीं। इस मौके पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभा सिंह भी उपस्थित रहीं।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने कहा कि अब महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का लाभ 2024 में नहीं, बल्कि वर्ष 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मिलेगा, जो अनुचित है। उन्होंने कहा कि इस बिल पर केंद्र सरकार के रवैये से हमारी पार्टी असहमत है और दृढ़तापूर्वक अपनी मांग रखती है कि अविलंब इस बिल को लागू करने के उपाय किये जाएं।
उन्होंने प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, प्रथम लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रथम कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सरोजिनी नायडू का उदाहरण देते हुए बताया कि महिला सशक्तिकरण में कांग्रेस पार्टी का योगदान अहम है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने महिला आरक्षण बिल की पूरी रूपरेखा तैयार की, लेकिन विपक्ष ने असहयोग किया। जब विपक्ष सत्ता में आ गया तो पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने और फिर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल पास करवाने के लिए केंद्र सरकार से पत्राचार किया। देर से ही सही, लेकिन यह सरकार कांग्रेस की मांगों के समक्ष झुकी और नारी शक्ति वंदन अधिनियम पास किया। लेकिन जनगणना और परिसीमन का जो पेंच फंसा दिया, उससे मोदी सरकार की नीयत का पर्दाफाश हो गया।
डॉली शर्मा ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार को नारी शक्ति वंदन विधेयक 2023 से जनगणना और परिसीमन की शर्त हटाकर महिलाओं को फौरन भागीदारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की ओर से इस आशय के संशोधन लाने की पहल की गई थी, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। यही नहीं, केंद्र सरकार को ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने के लिए भी इस बिल में तत्काल पहल करनी चाहिए। इस बात को लेकर भी उनकी पार्टी की ओर से बिल में संशोधन लाने की पहल की गई थी, जिसे केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया। इस प्रकार इस बिल में संशोधन किए जाने के दोनों प्रस्तावों को खारिज करके सरकार ने अपने पूर्वाग्रह भरे इरादे स्पष्ट कर दिए हैं।
उन्होंने कहा कि पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ही लाए थे, जो राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इसलिए
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने स्थानीय निकायों में महिलाओं को सशक्त करने का जो सपना देखा था, उसे कांग्रेसी प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव ने पूरा किया। इसलिए लोकसभा और विधानसभाओं में भी जल्दी यह अधिकार महिलाओं को मिले, हर हाल में उनकी पार्टी सुनिश्चित करेगी और केंद्र सरकार पर अपना दबाव बनाए रखेगी।
कांग्रेस प्रवक्ता डॉली शर्मा ने आगे कहा कि, “आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण के हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर-गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी। सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकर आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में, हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है।
——————–
वरिष्ठ पत्रकार श्री राम की रिपोर्ट