आपने प्लास्टिक के स्टूल को देखा होगा, उसपर बैठे भी होंगे और ये भी सोचा होगा कि आखिर उन स्टूलों के ऊपर, बैठने वाली जगह पर छेद क्यों होता है? बहुत बार लोग मजाक में ये कहते हैं कि इस छेद (Why Plastic stools have holes) के जरिए इसपर बैठे लोग गैस पास कर सकते हैं. कई लोग तो ये भी दावा करते हैं कि इस छेद से गैस पास कर सकते हैं, इसी वजह से चिकित्सकीय क्षेत्र में मल को भी स्टूल कहते हैं और इस प्लास्टिक के मेज को भी स्टूल (Why holes in plastic stools) कहते हैं. पर ये सारी बातें हंसी मजाक के लिए सुनने में ठीक हैं, मगर वास्तविकता से इनका कोई लेना-देना नहीं है. असल में ये प्लास्टिक के छेद स्टूलों में जरूरी कारण से बनाए जाते हैं.
छेद बढ़ा देता है स्टूल की मजबूती
प्लास्टिक के इन छेदों को बनाने के पीछे तीन प्रमुख कारण होते हैं. सबसे पहला कारण होता है स्टूलों की मजबूती को बढ़ाना. स्टूल के ऊपर गोल आकार के छेद बनाए जाते हैं, स्क्वायर, त्रिकोण या किसी और शेप के नहीं. इसका कारण ये होता है कि जब व्यक्ति इस स्टूल पर बैठता है तो उसका भार इस छेद पर पड़ता है और वो उसके वजन को स्टूल के चारों पैरों पर बराबरी से बांटता है, और बैठने वाला हिस्सा टूटता नहीं है. अगर ये हिस्सा किसी और शेप का होता, तो उनके कोनों, यानी एंगल पर जोर पड़ता और वहीं से स्टूल टूटना शुरू हो जाता.
ये छेद स्टूल की मजबूती को बढ़ा देता है. (प्रतीकात्मक फोटो: Canva)
वैक्यूम नहीं बनने देता छेद
दूसरा कारण है वैक्यूम बनने से बचाना. आपने अक्सर एक के ऊपर एक रखी कुर्सियों में से एक कुर्सी अपने लिए निकाली बाहर निकाली होगी. ऐसा करने में आपको काफी मुश्किल हुई होगी. कुर्सियां आसानी से बाहर नहीं आती, ऐसा लगता है कि वो एक दूसरे से चिपक गई हैं. इसकी वजह यही वैक्यूम है. स्टूल में ये छेद इसी कारण से बनाया जाता है. छेद होने से जब उन्हें एक के ऊपर एक रखा जाता है तो उनके बीच में वैक्यूम नहीं बनता है. जिससे वो आसानी से बाहर आ जाते हैं.
उंगली से उठाने के काम आता है छेद
प्लास्टिक के स्टूल में छेद बनाने का तीसरा महत्वपूर्ण कारण है उंगली अंदर डालने में सहूलियत. स्टूलों पर छेद बनाया जाता है जिससे लोग उंगली उसमें डालकर उसे उठा सकें. पर यहां इंजीनियरों की भी तारीफ करने योग्य एक बात है. अगर छेद को बड़ा बनाया जाएगा, तो स्टूल जल्दी टूट जाएगा, अगर उसे ज्यादा छोटा बनाया जाएगा तो उसमें उंगली नहीं घुसेगी, इस वजह से छेद का साइज भी काफी सोच समझकर डिसाइड किया गया है.
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FIRST PUBLISHED : June 06, 2023, 13:01 IST