कानून सभी के लिए एक समान हो ! धर्म और वर्ग के हिसाब से नहीं : बीके शर्मा हनुमान

गाजियाबाद। समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता लागू होने से सभी धर्मों का एक कानून होगा। शादी, तलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा।इस कानून के बनने से देश और समाज को सैकड़ो जटिल कानूनों से मुक्ति मिलेगी। यह कहना है विश्व ब्रह्मर्षि ब्राह्मण महासभा एवं प्राइवेट चिकित्सक वेलफेयर एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष पंडित बीके शर्मा हनुमान का।

पंडित बीके शर्मा हनुमान के अनुसार वर्तमान समय में जो कानून है वह अंग्रेजी शासन के दौर में बनाये गए है और यह सभी भारतीय के मन में हीन भावना पैदा करने वाला है। इसलिए नए कानून के द्वारा अंग्रेजों के बनाये कानूनों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जायेग। एक पति–एक पत्नी का नियम सभी भारतीयों पर लागू होगी और इससे धार्मिक आधार पर एक वर्ग को मिली छूट बंद हो जाएगी। न्यायालय के द्वारा विवाह सम्बन्ध विच्छेद अर्थात तलाक के लिए एक सर्वमान्य नियम निश्चित हो जाएगा. जबकि वर्तमान समय में तीन तलाक के कानून पारित होने के बाद भी मुस्लिम पुरुष अपने बेगम को मौखिक तलाक करने की कई बार देखी गई है।

यह कानून मुस्लिम पुरुषो के इस प्रवृति पर स्थायी विराम लगा देगा। सभी नागरिको के लिए समान कानून होने से देश की एकता में और अधिक वृद्धि होगी। जब देश में एकता और शांति होगी तो देश का विकास भी होगा।.राष्ट्रीय स्तर पर देश भर में समान कानून बन जाने से अदालतों को अपने निर्णय लेने में आसानी होगी और न्याय प्रक्रिया अधिक तेज होगी। वसीयत, दान या गोद जैसे मामलो में समान कानून होने से कई विसंगतियों से मुक्ति मिलेगी।

पैतृक संपत्ति में पुत्र – पुत्री और बेटा – बहू को समान अधिकार प्राप्त होगा और संपत्ति पर आधारित कई सामाजिक विसंगतियां समाप्त होगी। समान नागरिक संहिता का पालन कई देशों में होता है। इन देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र,अमेरिका,आयरलैंड, आदि शामिल हैं। इन सभी देशों में सभी धर्मों के लिए एकसमान कानून है और किसी धर्म या समुदाय विशेष के लिए अलग कानून नहीं हैं। मैं शायद यही कहूंगा कि समान नागरिक संहिता हिंदू राष्ट्र के बारे में नहीं है। वास्तव में यह सामाजिक न्याय, लैंगिक न्याय, देश की एकता और बंधुत्व के बारे में है और सामाजिक न्याय और देश की एकता और बंधुत्व शब्द का उल्लेख पहले से ही हमारी प्रस्तावना में किया गया है और समान नागरिक संहिता अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे अधिकांश विकसित देशों में लागू है।

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वरिष्ठ संवाददाता श्री राम की रिपोर्ट

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